अंको के स्थानो की गिनती में ईकाई की ओर से गिनने का सोलहवाँ स्थान जिसमें पद्म गुणित का बोध होता है। कुबेर की नौ निधियों मे से एक निधि की संज्ञा यानि कि सौ नील।
कोरोना को बहुत विद्वान एक तीसरा अदृश्य विश्व युद्ध भी बताते है और कहना है कि चीन साम्राज्यिक रूप से वैश्विक विस्तार के अंतर्गत अपना ब्यापार विश्व स्तर पर करना चाहता है इसी कारण चीन द्वारा कोरोना को विश्व स्तर पर फैलाया गया।क्योकि गोले बारूद से विश्व जीतना असंभव है।इसीलिए चीन द्वारा शायद ऐसा षडयंत्र किया गया हो।
जिससे विश्व के अनेक देशों में लाखों व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है और हजारों व्यक्तिअसमय काल कवलित हो रहे है और आगे आने वाले समय मे भी अनगिनत व्यक्तियों की मृत्यु की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।
ऎसी विपरीत परिस्थितियों में प्रत्येक देश इस बीमारी से भयाक्रांत है और इससे निजात चाहता है और ऐसी दशा में हर तरफ आशा की किरण खोज रहा है ।
ऐसे ही समय में इस भारत की धरती से दो शहरों भीलवाड़ा व पीलीभीत के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मिल कर एक मॉडल विकसित किया है जिसके कारण भीलवाड़ा व पीलीभीत जिले चर्चा में है। जिस पर बहुत कम चर्चा मीडिया या समाचारों में हो रही है। इन ज़िलो के पुलिस कप्तान , ज़िला अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा मिल कर क्रमशः भीलवाड़ा व पीलीभीत ज़िले में कोरोना नाम की बीमारी पर क़ाबू पा लिया है और कोरोना मुक्त घोषित हो चुके है।
इन जिलों के अधिकारियों की चर्चा यू ट्यूब के एक चैनल पर और एक छोटे से समाचार कॉलम में हुआ हैं जिसे देख कर दुख हुआ कि भीलवाड़ा के मॉडल को कनाडा तक भेजा जा रहा है वहाँ की सरकार इस मॉडल पर रिसर्च कर इस मॉडल को अपने देश मे लागू करना चाहती है और यहाँ के किसी मीडिया या समाचार ने प्रमुखता से नही दिखाया है।अगर यही हिन्दू-मुस्लिम का मामला होता तो कई दिन समाचार वाले चिल्ला – चिल्ला कर बताते रहते और जनता भी सुनती रहती।
यही इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ पर सब कुछ सामान्य नही है जबकि बड़ा सामान्य दिखाने का प्रयास रहता है आम जन इन बातों को नही समझ पाता है और धीरे – धीरे आम जन के अंदर तक वो ही पाठ मन में बैठा दिया जाता है जिसका पता चलता ही नही है।जैसे कोरोना का पता नही चलता है और जब पता चलता है तब तक देर हो जाती है।
खैर, आज हम इस विषय पर बात नही कर रहे है मुख्य विषय पर आते है कि जब तीसरा अदृश्य विश्व युद्ध है तो विजेताओ की जिन्होंने अपनी जान देकर व जान हथेली पर रख कर हम सब की व हमारे परिवारों की जान लगातार बचा रहे है जो वाकई अविस्मरणीय है।ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जब कोई अपने सगे बीमार को हाथ नही लगा रहा है तब ये पुलिस उनको पकड़ – पकड़ कर इलाज हेतु अस्पताल ले जा रही है और डॉक्टर ऐसे खतरनाक बीमार का इलाज अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहा है। निश्चित रूप से ऐसे डॉक्टर ,पुलिस व अधिकारी वंदनीय,पूजनीय है।
ऐसे वंदनीय समाज के विजेताओ का आज जबकि सिविल सर्विसेज डे भी है सौ नील पुरस्कार यानि पद्म स्तर के पुरस्कार से पुरस्कृत किये जाने की आवश्यकता है।सौ नील यानि ऐसा पुरस्कार जो दुर्लभ की श्रेणी में आता हो। ये ना केवल हमारा नैतिक व सामाजिक दायित्व है बल्कि डॉक्टर, पुलिस, अधिकारी गणो का इस समाज देश के ऊपर कर्ज भी है और इस दिन से अच्छा कुछ नही है कि इसी पखवारे नील /पदम (पद्म) पुरुस्कार दिलाये जाने व घोषणा किए जाने का अनुरोध हम सब देशवासी मिलकर सरकार से करे ताकि भविष्य में ऐसी किसी विपत्ति में ऐसे विजेताओ की कमी देश मे ना हो।
देश के सभी वन्दनीय पूजनीय डॉक्टर, पुलिस ,अधिकारी गणो का शत शत नमन व आभार।
जय भारत
जय हिंद
Really, it’s need to be done