ये हैं इस देश की धरती के सपूत और ये वो सपूत हैं जो सिर्फ पढ़े लिखे ही नहीं हैं बल्कि डाॅक्टर जैसी महान शिक्षा प्राप्त है और डाॅक्टर बनने से पहले शपथ भी ली थी पर आत्मनिर्भर होने की जल्दी में ये महात्वाकांक्षी देश को टर्निंग प्वाइंट पर ले जा रहे हैं।
देश के प्रधानमंत्री ने लाॅकडाउन.4 में पहली बार आत्मनिर्भर भारत की बात की थी। दोबारा इंडियन चैंबर ऑफ कार्मस को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘कोरोना महामारी में देशवासी इस संकल्प को ले कि इस आपदा को अवसर में बदलना है। इस देश का टर्निंग प्वाॅइंट बनाना है, आत्मनिर्भर भारत बनाना है, आत्मनिर्भरता का भाव बरसों से भारतीयों ने महत्वाकांक्षा की तरह जिया है।‘‘
आत्मनिर्भर भारत को टर्निंग प्वाइंट देश के निवासियों ने कैसे बनाया बताया जाना आवश्यक है। आत्मनिर्भरता का नारा नया हो सकता है पर भारत में आत्मनिर्भरता बहुत पहले से कूट-कूट कर भरा हुआ है। जिनको हम कोरोना वायरस (योद्धा) कहते हैं सबसे पहले उन्ही की बात किया जाना भी स्वाभाविक है, दिल्ली के अस्पताल पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुके हैं, बेड उपलब्ध हैं, परन्तु किसी मरीज को नहीं दिये जायेंगे। किसी अस्पताल में कितने बेड उपलब्ध हैं, कितने बेड भरे हैं, इसकी कोई सूचना जनता को उपलब्ध नहीं है अर्थात अस्पतालों को मरीजों की आवश्यकता नहीं रह गई है वे आत्मनिर्भर हो गये हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री महोदय को दूरदर्शन अर्थात दूर के दर्शन पर आकर कहना पड़ता है कि अस्पताल आत्मनिर्भरता समाप्त कर मरीजों को भर्ती करें। दिल्ली के उपराज्यपाल साहब को निर्देश देने पड़े कि सभी अस्पताल, क्लिनिक व नर्सिंग होम्स के बाहर एल0ई0डी0 बोर्ड पर खाली बेडस् की संख्या का सही-सही अंकन डिस्प्ले किया जाये जिसको दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अफसर समय-समय पर औचक निरीक्षण कर चेक करें।
इसको आप क्या समझेंगे, सामान्य रूप से यह समझ में आता है कि दिल्ली के सभी अस्पताल अब आत्मनिर्भर हो चुके हैं। प्रधानमंत्री जी की अपील में दूसरी लाइन थी ‘‘आत्मनिर्भरता का भाव बरसों से भारतीयों ने महत्वाकांक्षा की तरह जिया है।‘‘ सही है हम भारतीय वास्तव में बहुत महत्वाकांक्षी हैं इसकी बानगी आपको बताया जाना आवश्यक है, सोशल मीडिया पर मैक्स और फोर्टिस अस्पतालों की एक रेट लिस्ट वायरल हुई है और कोरोना ईलाज के नाम पर लाखों रूपये वसूले जाने के आरोप लग रहे हैं। मैक्स अस्पताल में 25 हजार रूपये सेे लेकर 72 हजार रूपये रोजाना खर्च होगा और फोर्टिस अस्पताल में प्रतिदिन 15 हजार रूपये से लेकर 40 हजार रूपये रोज का खर्च आयेगा यदि आप कोरोना से पीड़ित हो जाते हैं। इसी तरह अन्य अस्पतालों की भी यही दशा है, कोरोना का इलाज कराने के लिए प्रत्येक दिन इस वायरल रेट लिस्ट के अनुसार कितने रूपयों की आवश्कता होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
मैं आपको डरा नहीं रहा हूॅं सिर्फ और सिर्फ इन अस्पतालों की महत्वाकांक्षा दिखाने का प्रयास कर रहा हूॅं। यद्यपि एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइर्डस(इंडिया) ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार हेतु धनराशि को निर्धारित किया हुआ है, परन्तु महत्वाकांक्षा है कि रूकने का नाम नहीं लेती है। कल्पना कीजिए यदि किसी परिवार में कोरोना हो जाये, किसी एक व्यक्ति के पीड़ित होते ही पूरे परिवार को कोरोना हो जाता है और परिवार तीन या चार लोगों का है तो इलाज कैसे हो पायेगा, क्योंकि अस्पताल या तो आत्मनिर्भर हो चुके हैं या तो महत्वाकांक्षी हो गये हैं। कुछ अस्पताल आत्मनिर्भर हो गये हैं, जो अभी तक आत्मनिर्भर नहीं हुये हैं वे महात्वाकांक्षी हो गये हैं। इससे आत्मनिर्भता और महात्वकांक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने अपील में एक लाईन में कहा है, कि ‘‘इसे देश का टर्निंग प्वाइंट बनाना है।‘‘ देखिये हमने इसे कैसे टर्निंग प्वाइंट बनाया, अभी तक जब कोई व्यक्ति मरता था तो उसको सम्मानपूर्वक दाह संस्कार का अधिकार प्राप्त था, परन्तु इस विधिक अधिकार में भी टर्निंग प्वाइंट आ चुका है अब मरीज मरा तो उसके शव को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता है और लाश को जानवरों से भी बदतर सलूक मिलता है जिस पर बाध्य होकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करते हुए निर्देश देना पड़ा है कि ‘‘अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों के शवों की कोई फिक्र नहीं है, लाशें कचरे में मिल रही हैं और लोगों को जानवरों से भी बदतर माना जा रहा है।‘‘
ये चन्द उदाहरण जो जनता के सामने उजागर हो चुके हैं, कितने ही अन्य मामले हैं जिनकी जानकारी हम तक पहुॅच ही नहीं पाती है। ये हैं इस देश की धरती के सपूत और ये वो सपूत हैं जो सिर्फ पढ़े लिखे ही नहीं हैं बल्कि डाॅक्टर जैसी महान शिक्षा प्राप्त है और डाॅक्टर बनने से पहले शपथ भी ली थी पर आत्मनिर्भर होने की जल्दी में ये महात्वाकांक्षी देश को टर्निंग प्वाइंट पर ले जा रहे हैं।
जय भारत
जय हिन्द